है हमसफर मेरा तू.. अब… मंझिल-ऐ-जुस्तजू क्या…?? खुद ही कायनात हूँ… अब…. अरमान-ऐ-अंजुमन क्या…???
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बहुत दिन हुए तुमने
बहुत दिन हुए तुमने, बदली नहीं तस्वीर अपनी! मैंने तो सुना था, चाँद रोज़ बदलता हैं चेहरा अपना!!
मेरी न सही
मेरी न सही तो तेरी होनी चाहिए…. तमन्ना किसी एक की तो पूरी होनी चाहिए…!!
करूँ पेश तुमको
करूँ पेश तुमको नज़राना दिल का, के बन जाए कोई अफ़साना दिल का..
कर्म भूमि पर
कर्म भूमि पर फल के किये श्रम सबको करना पड़ता है.. रब सिर्फ लकीरें देता है, रंग हमें खुद भरना पड़ता है !!
तु ही है
तु ही है जिसे हर किस्सा बताते हैं…….. वरना हमारे लब्ज सुनने को तो दुनिया बेताब है|
तेरे इनकार की वजह
तेरे इनकार की वजह बता दे बस……..! कसम तेरी.. ज़िन्दगी लुटा दूँगा उसे सुधारने में..
तुम ही तुम दिखते हो
तुम ही तुम दिखते हो हमें कुछ हुआ तो जरूर है, ये आइनें की भूल है या मस्त निगाहों का कसूर है !!
उनकी नजाकत तो देखिये
उनकी नजाकत तो देखिये साहब…. “चाँद सा” जब कहा तो कहने लगे” चाँद कहिये ना ” ये ” चाँद सा ” क्या है…
बहुत दिन हुए
बहुत दिन हुए तुमने, बदली नहीं तस्वीर अपनी! मैंने तो सुना था, चाँद रोज़ बदलता हैं चेहरा अपना!!