तेज़ रफ़्तार हुआ है

तेज़ रफ़्तार हुआ है, ज़माना इतना के.. लोग मर जाते है, जीने का हुनर आने तक|

गैरौ को क्या पता कि

अपने ही तोड देते हैं यहां वरना गैरौ को क्या पता कि दिल की दीवार कहा से कमजोर है…

थोडी ही सही

थोडी ही सही पर बातो की तेरी जो धूप ना पडे मुझ पर तो धुन्धदला-सा जाता हू मैं….

दिल गवारा नहीं

दिल गवारा नहीं करता है शिकस्त-ए-उम्मीद हर तग़ाफ़ुल पे नवाज़िश का गुमाँ होता है |

तेरे शहर में

तेरे शहर में आने को हर कोई तरसता है लेकिन वो क्या जाने वहां कोई नही पहुँचता है जो पहुँचता है वो तुझसा ही होकर कोई खुद सा वहां कब पहुँचता है ये तो कुछ शब्दों का भ्रम जाल है इन मंदिर में रखी किताबो का जो हर कोई तुझसे मिलने को तरसता है खुल… Continue reading तेरे शहर में

ये दुनिया अक्सर

ये दुनिया अक्सर सस्ते में उन्हें लूट लेती है; खुद की क़ीमत का जिन्हें अन्दाज़ा नहीं होता!

हज़ार बार माँगा

हज़ार बार माँगा करो तो क्या हांसिल , दुआ वहीं है जो दिल से कभी निकलती हैं |

सुनो जरा फिर से

सुनो जरा फिर से याद आ जाओ ना ..! कुछ आँसुओ ने अर्ज़ी दी है रिहाई की ..

ग़म-ए-दुनिया

ग़म-ए-दुनिया भी ग़म-ए-यार में शामिल कर लो नशा बढ़ता है शराबें जो शराबों में मिलें |

भटकता फिर रहा है

भटकता फिर रहा है दिल किनारों की तमन्ना में तुम्हारे इश्क़ में डूबे तो बेड़ा पार हो जाये |

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