सिर्फ और सिर्फ तेरे लिए.. .. आज मैं चाँद भी ले आया हूँ तेरे लिए…!
Tag: हिंदी शायरी
इमारतें बनती हैं रोज़
इमारतें बनती हैं रोज़, हर रोज़… मजदूरों के दफ्तरों में… इतवार नहीं होते.
मैं भले ही वो काम नहीं करता
मैं भले ही वो काम नहीं करता जिससे खुदा मिले… पर वो काम जरूर करता हूँ…जिससे दुआ मिले.’;..
जब ख्वाबों के रास्ते
जब ख्वाबों के रास्ते ज़रूरतों की ओर मुड़ जाते हैं तब असल ज़िन्दगी के मायने समझ में आते हैं
ताल्लुकातों की हिफ़ाज़त
ताल्लुकातों की हिफ़ाज़त के लिये बुरी आदतों का होना भी ज़रूरी है, ऐब न हों तो लोग महफ़िलों में नहीं बैठाते………..??
उस से कह दो वो अब नहीं
उस से कह दो वो अब नहीं आए मैं अकेला बड़े मज़े में हूं
जिसकी तलवार की छनक से अकबर
जिसकी तलवार की छनक से अकबर का दिल घबराता था वो अजर अमर वो शूरवीर वो महाराणा कहला ता था फीका पड़ता था तेज सूरज का , जब माथा ऊचा करता था , थी तुझमे कोई बात राणा , अकबर भी तुझसे ड रता था
हर एक बात को चुप-चाप क्यूँ
हर एक बात को चुप-चाप क्यूँ सुना जाए कभी तो हौसला कर के नहीं कहा जाए तुम्हारा घर भी इसी शहर के हिसार में है लगी है आग कहाँ क्यूँ पता किया जाए जुदा है हीर से राँझा कई ज़मानों से नए सिरे से कहानी को फिर लिखा जाए कहा गया है सितारों को छूना… Continue reading हर एक बात को चुप-चाप क्यूँ
हमने कब कहा कीमत समझो
हमने कब कहा कीमत समझो तुम मेरी… , हमें बिकना ही होता तो यूँ तन्हा ना होते…. …… ……….
मेरी गली से गुजरा.. घर तक
मेरी गली से गुजरा.. घर तक नहीं आया, , , , अच्छा वक्त भी करीबी रिश्तेदार निकला… …… ………..