दुख जमा कर सकते है।

“माँ” एक ऐसी ‘बैंक’ है जहाँ आप हर भावना और दुख जमा कर सकते है। और “पापा” एक ऐसा ‘क्रेडिट कार्ड’ है जिनके पास बैलेंस न होते हुए भी हमारे सपने पूरे करने की कोशिश करते है॥

काश तुम भी

काश तुम भी हो जाओ तुम्हारी यादों की तरह. ना वक़्त देखो, ना बहाना, बस चले आओ…

तेरे आने से पहले

दो ही गुज़रे हैं वक़्त कठीन एक तेरे आने से पहले एक तीरे जाने के बाद

जिन्दगी जख्मो से

जिन्दगी जख्मो से भरी है, वक्त को मरहम बनाना सीख लो, हारना तो है एक दिन मौत से, फिलहाल दोस्तों के साथ जिन्दगी जीना सीख लो..!!

सोने नही देती

लोग अक्सर शोर से उठ जाते है मुझे तो उसकी ख़ामोशी सोने नही देती…………

लिखा करती थी

दोनों की पहली चाहत थी ,दोनों टूट के मिला करते थे, वो वादे लिखा करती थी ,में कसमे लिखा करता था ।।

सुकून मिलता है

सुकून मिलता है दो लफ्ज कागज पर उतार कर… . चीख भी लेता हू….और आवाज भी नही होती।

मां के पैर छूकर

बदल गया है जमाना, पहले मां के पैर छूकर घर से निकलते थे… और अब मोबाईल फोन की बैटरी फुल करके….

मेरी सादगी से

मेरी सादगी से लोग जलें तो मेरा क्या कसूर…!! पैसौ की अमीरी तो आम बात है .. दिल की अमीरी खुदा किसी किसी को देता है.

खुद को इश्क से

वो नकाब लगा कर खुद को इश्क से महफूज समझती रही, नादान इतना नही समझी कि इश्क चेहरे से नही नजरों से शुरू होता है..!!

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