फना होने की इजाजत ली नहीं जाती ये मोहब्बत है जनाब पूछ के की नहीं जाती…
Tag: शर्म शायरी
तुझ पे खर्च करने के लिए
तुझ पे खर्च करने के लिए बहुत कुछ नहीं था मेरे पास थोड़ा वक़्त था थोड़ा मैं था..!!! दोनों बर्बाद हो गया
बेपरवाह हो जाते है
बेपरवाह हो जाते है अक्सर वो लोग, जिन्हे कोई बहुत प्यार करने लगता है…
दिल भी जिद पर
दिल भी जिद पर अडा है बच्चे की तरह, या तो वो चाहिए या फिर कुछ नहीं !!
इंतज़ार करते करते
इंतज़ार करते करते वक़्त क्यों गुजरता नहीं! सब हैं यहाँ मगर कोई अपना नहीं! दूर नहीं पर फिर भी वो पास नहीं! है दिल में कहीं पर आँखों से दूर कहीं!
दीदार के लिए
किसी और के दीदार के लिए उठती नहीं ये आँखे, बेईमान आँखों में थोड़ी सी शराफ़त आज भी है !!
तुम ही तुम दिखते हो
तुम ही तुम दिखते हो हमें कुछ हुआ तो जरूर है, ये आइनें की भूल है या मस्त निगाहों का कसूर है !!
मुझ पर इलज़ाम झूठा है ….
मुझ पर इलज़ाम झूठा है …. मोहब्बत की नहीं थी…. हो गयी थी
हमने भी मुआवजे की अर्जी
हमने भी मुआवजे की अर्जी डाली है साहब, उनकी यादों की बारिश ने काफ़ी नुकसान पहुँचाया है !!
हमीं अकेले नहीं जागते हैं
हमीं अकेले नहीं जागते हैं रातों में… उसे भी नींद बड़ी मुश्किलों से आती है..