ग़मों ने मेरे दामन को यूँ थाम लिया है … .. जेसे उनका भी मेरे शिव कोई नही…!!
Tag: व्यंग्य
कुछ विरान सी
कुछ विरान सी नज़र आती दिल की दिवार.. .. सोचता हूँ, तेरी तस्वीर लगा कर देखूँ !
हमने टूटी हुई शाख
हमने टूटी हुई शाख पर अपना दर्द छिड़का है … … फूल अब भी ना खिले तो, क़यामत होगी ।
कबड्डी पूरी तरह से
कबड्डी पूरी तरह से भारतीय खेल है। कैसे? इसमें सब लोग एक साथ मिलकर एक ऐसे आदमी को नीचे गिराने में लगे रहते हैं, जो बेचारा कुछ करने आगे आया है।
Mante hain raste
Mante hain raste pe mile the hum,, To bs kya hume raste pe la doge.
शिकायते तो बहुत है
शिकायते तो बहुत है तुझसे ऐ जिन्दगी …!! पर चुप इसलिये हु कि, जो दिया तूने,वो भी बहुतो को नसीब नहीं होता …!!
इतना संस्कारिक कलयुग
इतना संस्कारिक कलयुग आ गया है कि लड़की कि विदाई के वक्त.. माँ बाप से ज्यादा तो मोहल्ले के लड़के रो देते है
कौन समझ पाया है
कौन समझ पाया है आज तक हमे… हम अपने हादसों के इकलौते, गवाह हैं…!
क्या करोगे ये जानकर
क्या करोगे ये जानकर कि कितना प्यार करते हैं तुमसे…. . ❊ बस इतना जान लो, कि वो नम्बर तुम्हारा ही था ❊ जो मुझसे पहली बार याद हो पाया था…
काश कोई तो पैमाना होता
काश कोई तो पैमाना होता मोहब्बत नापने का.. तो शान से आते हम तेरे सामने सबुत के साथ..