जगह ही नहीं है दिल में अब दुश्मनों के लिए, कब्ज़ा दोस्तों का कुछ ज्यादा ही हो गया है !!
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ऐसे माहौल मे…
ऐसे माहौल मे…दवा क्या है..?दुआ क्या है..?? जहा कातिल ही… खुद पूछें..हुआ क्या है..?हुआ क्या है
वो रखती है
वो रखती है खुद को सबसे छुपाकर .. शायद वो भी खुद को अमानत समझती है मेरी।
इस तरह ज़िन्दगी में
इस तरह ज़िन्दगी में मुझे तेरा साथ चाहिये, जैसे बच्चे को भीड़ में एक हाथ चाहिए.
कभी टूटा नही
कभी टूटा नही मेरे दिल से तेरी याद का रिश्ता… गुफ़्तुगू जिस से भी हो ख़याल तेरा ही रहता है..
नजाकत तो देखिये
नजाकत तो देखिये साहेब..चांद सा जब कहा उनको.. तो कहने लगी..चांद कहिये ना ये चांद सा क्या है..
काफी दिनों से कोई
काफी दिनों से कोई नया जख्म नहीं मिला; पता तो करो.. “अपने” हैं कहां ????
खुद को गलत भी
खुद को गलत भी…. सही आदमी ही मान सकता है….!!
पाने की बेकरारी
पाने की बेकरारी और खोने की दहशत, इन्हीं बेचैनियों का नाम है मोहब्बत
दूर रह कर भी
उसका नजर से दूर रह कर भी, मेरी हर सोंच में हमेशा रहना….. किसी के पास रहने का तरीका हो, तो ऐसा ही हो….