इक निगह कर के

इक निगह कर के उसने मोल लिया बिक गए आह, हम भी क्या सस्ते

जो दिल के दर्द

जो दिल के दर्द को भुलाने को दारु पीता है, वो चखना नहीं खाता चखना तो कमीने दीलासा देने वाले साफ कर जाते है|

दहर में उनके

या न था दहर में उनके सिवा जालिम कोइ, या सिवा मेरे कोई और गुनहगार न था।

दिल ए तबाह

दिल ए तबाह को ज़ख़्मों की कुछ कमी तो नहीं मगर है दिल की ये तमन्ना तुम एक वार और करो

मोहब्बत क्यूँ करेगी

सियासत भी तवायफ़ है मोहब्बत क्यूँ करेगी वो भला किस वक्त घुंघरू इसके मक्कारी नहीं करते

अपना ही चेहरा

बीवी, बच्चे, सड़कें, दफ्तर और तनख्वाह के चक्कर में मैं घर से अपना ही चेहरा पढ़कर जाना भूल गया

तुम जड़ पकड़ते

कभी तुम जड़ पकड़ते हो कभी शाखों को गिनते हो हवा से पूछ लो न ये शजर कितना पुराना है

यहीं रही है

यहीं रही है यहीं रहेगी ये शानो शौकत ज़मीन दौलत फकीर हो या नवाब सबको, कफन वही ढाई गज मिला है

इंतजार की घङिया

इक मैँ जो, इंतजार की घङिया ;गिनता रहा……!! . इक तुम जो, आँखे चुराकर निकल गए……!!

तेरी यादें

तेरी यादें…..कांच के टुकड़े… और मेरा दिल ….नंगे पाँव..!!

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