ढूंढते हो क्या आँखों में कहानी मेरी…. खुद में गुम रहना तो आदत है पुरानी मेरी…..
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कभी हम हीं थे
कभी हम हीं थे तेरे हमसफर ऐ दोस्त, मंजिल मिल गई तुम्हें तो पहचानते नहीं।
रातों को जागते हैं
रातों को जागते हैं इसी वास्ते कि ख़्वाब देखेगा बंद आँखें तो फ़िर लौट जाएगा
रोज के मिलने में
हर रोज के मिलने में तकल्लुफ़ कैसा, चाँद सौ बार भी निकले तो नया लगता है….!!!
बड़े खुश नसीब हैँ वो
ना शौक दीदार का… ना फिक्र जुदाई की, बड़े खुश नसीब हैँ वो लोग जो…मोहब्बत नहीँ करतेँ
तुझे झूठ बोलना
तुझे झूठ बोलना भी हम ने ही सिखाया है । तेरी हर बात को सच मान मान कर ।।
वो पूछ रहे हैं
सबब वो पूछ रहे हैं उदास होने का मिरा मिज़ाज नहीं बे-लिबास होने का मिरी ग़ज़ल से बना, ज़ेहन में कोई तस्वीर सबब न पूछ मिरे देवदास होने का
जख्म ही देना
जख्म ही देना था तो पूरा जिस्म उसके हवाले था ….! पर उस जालिम ने जब भी वार किया तो सीधा दिल पर किया …!
जनम दे जायेगा
आईने से ले नहीं सकता कोई भी इन्तेक़ाम एक टूटेगा ‘हज़ारों’ को जनम दे जायेगा
मै तरसती रही
मै तरसती रही हर पल उसकी आवाज़ सुनने को कितनी आसानी से कह दिया उसने वक़्त मिलेगा तो बात कर लेंगे ..