वों हमसे खफ़ा हैं..

आज फिर वों हमसे खफ़ा हैं…… “खैर” कौन सा यें पहली दफ़ा हैं?

उम्र बीत गयी

उम्र बीत गयी पर एक जरा सी बात समझ नही आई..!! हो जाये जिन से मोहब्बत वो लोग कदर क्यों नही करते..!

ख़फा होता है जो

ख़फा होता है जो, वो ही अपनी दौलत है बाक़ी तो सजावटी लिफाफे अक़सर ख़ाली ही होते हैं

औकात बता दी

आँधियों ने लाख बढ़ाया हौसला धूल का… दो बूँद बारिश ने औकात बता दी !

आये मेरी कब्र पे

वो आये मेरी कब्र पे अपने हमसफ़र के साथ कौन कहता है के दफनाए हुए को जलाया नही जाता

बेचैन राते बिताकर

बेचैन राते बिताकर मैं किश्तें चुका रहा हूँ.. उसने एक बार मुस्कुराकर कुछ यूँ कर्ज़दार कर दिया..

दिल ही नही करता

जीतने का दिल ही नही करता अब, मेरे दोस्त, एक शख्स को जब से हारा है मैंने ।

पेट तो भरेगा !

कुछ पतंगें तो मैंने यहीं सोचकर काट दी यारों… कि उन्हें बेचकर चौराहे पर खड़े ग़रीब का पेट तो भरेगा !!!

Hamare ishq ka

Hamare ishq ka andaaz kuch ajeeb sa tha dosto.. log insaan dekhkar mohobbat karte hai.. humne mohobbat karke insaan dekh liya..

हो सके तो

हो सके तो अब के कोई सौदा न करना मैं पिछली मोहब्बत में सब हार आया हूँ…..

Exit mobile version