तेरा साया भी पड़ जाए रूह जी उठती है, सोच तेरे आने से मंजर क्या होगा |
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ऐसा नहीं है कि
ऐसा नहीं है कि मुझमें कोई एब नहीं है पर सच कहता हूँ मुझमे कोई फरेब नहीं है|
अंदाज़-ऐ-क़त्ल
वो ज़हर देकर मारता तो दुनियां की नज़रों में आ जाता, अंदाज़-ऐ-क़त्ल तो देखो मुहब्बत कर के छोड़ दिया …
जरा सा कतरा कहीं
जरा सा कतरा कहीं आज अगर उभरता है ‘ तो समन्दरों के ही लहजे में बात करता है !! सराफ़तों को यहाँ अहमियत नहीं मिलती !! किसी का कुछ न बिगाड़ो तो कौन डरता है!!!!
ये तेरी बातें
ये तेरी बातें…. बात बात पर याद आती है मुझे|
वो पत्थरो से मांगते है
वो पत्थरो से मांगते है, अपनी मुरादे दोस्तों; हम तो उनके भक्त है, जिनके नाम से पत्थर भी तैरते है ..
वजह-ए-बर्बादी
अपनी वजह-ए-बर्बादी सुनाये तो मजे की है…!!! जिदंगी से युं खेले….जैसे दुसरे की है….!
बिछड़े हुए दोस्तों की याद
आती है ऐसे बिछड़े हुए दोस्तों की याद, जैसे चराग जलते हों रातों को गांव में।
तुमसे वजह मिल गयी है
जीने की तुमसे वजह मिल गयी है.. बड़ी बेवजह ज़िन्दगी जा रही थी..!
वही हाल कर दिया
मुद्दतों बाद उस ला-परवाह ने.. हाल पूँछ कर… फिर वही हाल कर दिया..!!