बड़ी बेवफ़ा हो जाती है ग़ालिब ये घड़ी भी सर्दियों में। पाँच मिनट और सोने की सोचो तो तीस मिनट आगे बढ़ जाती है।।
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जिंदगी के रूप में
जिंदगी के रूप में दो घूंट मिले, इक तेरे इश्क का पी चुके हैं..दुसरा तेरी जुदाई का पी रहे हैं !!!!
कभी मोहब्बत के
वो पतथर भी मारे तो उठा के झोलियाँ भर लूँ कभी मोहब्बत के तोहफ़ो को लौटाया नही करते ।
कहानियाँ लिखने लगा
कहानियाँ लिखने लगा हूँ मैँ अब.!! शायरियोँ मेँ अब तुम समाती नहीँ.!!
फरेबी भी हूँ
फरेबी भी हूँ ज़िद्दी भी हूँ और पत्थर दिल भी हूँ…..!!!! मासूमियत खो दी है मैंने वफ़ा करते-करते……!!!!!
हल्की-फुल्की सी है
हल्की-फुल्की सी है जिंदगी… बोझ तो ख्वाहिशों का है…
ईश्क की गहराईयों मे
ईश्क की गहराईयों मे मौजूद क्या है… बस मैं हूँ,तुम हों,और कुछ की जरूरत क्या है…
चाँद का मिजाज भी तेरे जैसा हैं
चाँद का मिजाज भी तेरे जैसा हैं, जब देखने की तमन्ना हो तो नजर ही नही आता….!!
नाज है हमें अपने प्यार पर
नाज है हमें अपने प्यार पर , ना वो बेवफा और ना मै बेवफा, बस माँ बाप के फर्ज ने हमें जुदा करदिया..!!
एक बार चाहा था अक्ल ने तुमको भुलाना
एक बार चाहा था अक्ल ने तुमको भुलाना तो सौ बार जुनूँ ने तेरी तसवीर दिखा दी