जो नहीं है पर दिखाई देता है ,वह संसार है, जो है पर दिखाई नहीं देता, वह परमात्मा है।
Tag: प्रेरणास्पद कविता
खुद पर भरोसा
खुद पर भरोसा करने का हुनर सीख लो, सहारे कितने भी सच्चे हो एक दिन साथ छोड़ ही जाते हैं..
मिन्नते फकिरो से
में करता हुं मिन्नते फकिरो से अकसर…….. …. जो ऐक पैसे में लाखो की दुआ दे जाते है…!!
बुझने लगी हो
बुझने लगी हो आंखे तेरी, चाहे थमती हो रफ्तार उखड़ रही हो सांसे तेरी, दिल करता हो चित्कार दोष विधाता को ना देना, मन मे रखना तू ये आस “रण विजयी” बनता वही, जिसके पास हो “आत्मविश्वास”
फरेबी भी हूँ
फरेबी भी हूँ ज़िद्दी भी हूँ और पत्थर दिल भी हूँ…..!!!! मासूमियत खो दी है मैंने वफ़ा करते-करते……!!!!!
हल्की-फुल्की सी है
हल्की-फुल्की सी है जिंदगी… बोझ तो ख्वाहिशों का है…
ईश्क की गहराईयों मे
ईश्क की गहराईयों मे मौजूद क्या है… बस मैं हूँ,तुम हों,और कुछ की जरूरत क्या है…
हमने टूटी हुई शाख
हमने टूटी हुई शाख पर अपना दर्द छिड़का है … … फूल अब भी ना खिले तो, क़यामत होगी ।
माना के मुमकिन नही
माना के मुमकिन नही तेरा, मेरा एक हो जाना.. पर सुना है इस दुनिया में चमत्कार भी बहुत होते है..!!
तुम्हारा दीदार और
तुम्हारा दीदार और वो भी आँखों में आँखें डालकर….! . . उफ्फ्फ्फ्फ़….. . . ये कशिश कलम से बयाँ करना भी मेरे बस की बात नही….!!