जब मोहब्बत बेहिसाब की तो

जब मोहब्बत बेहिसाब की तो जख्मों का हिसाब क्या करना? अक्ल कहती है मारा जाएगा, दिल कहता है देखा जाएगा।

सोचा था घर बना कर

सोचा था घर बना कर बैठुंगा सुकून से.. पर घर की ज़रूरतों ने मुसाफ़िर बना डाला

बगैर आवाज़ के..

कितना भी सम्भाल के रख लो दिल को फिर भी, टूट ही जाता है और वो भी बगैर आवाज़ के..

एक युग था

एक युग था आँसूओं से मैल धो लेते थे सब… अब जरा सी बात पर खंज़र भी है, पत्थर भी है..

गाँव में जो छोड़ आए

गाँव में जो छोड़ आए हजारों गज की हवेली, शहर के दो कमरे के घर को तरक्की समझने लगे हैं।

खत की खुशबु

खत की खुशबु बता रही है…. लिखते वख्त उनके बाल खुले थे…

जरुरी नहीं की

जरुरी नहीं की काम से ही इंसान थक जाए फ़िक्र…धोके.. फरेब भी थका देते है इंसान को… जिंदगी में मेरे दोस्त ..

पतझड़ को भी

पतझड़ को भी तू फुर्सत से देखा कर ऐ दिल, बिखरे हुए हर पत्ते की अपनी अलग कहानी है।

परछाई बनने मे नही है..!!

जो आनंद अपनी छोटी पहचान बनाने मे है, वो किसी बड़े की परछाई बनने मे नही है..!!

मकड़ी भी नहीं फँसती

मकड़ी भी नहीं फँसती, अपने बनाये जालों में। जितना आदमी उलझा है, अपने बुने ख़यालों में…।।

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