बातों से सीखा है

बातों से सीखा है हमने आदमी को पहचानने का फन… जो हल्के लोग होते है,हर वक्त बातें भारी भारी करते हैं..!!

तेरी आँखों में

तेरी आँखों में आँसू थे मेरे खातिर वो एक लम्हा मुझे जिंदगी से प्यारा लगा|

कभी उलझ पड़े

कभी उलझ पड़े मौला से कभी साकी से हंगामा, ना नमाज अदा हो सकी ना शराब पी सके|

तुम्हारे पास ही तो हैं

तुम्हारे पास ही तो हैं ज़रा ख्याल करके देखो। आँखों की जगह दिल का इस्तेमाल करके देखो।

हम को तो

हम को तो तुम से मिलने की फुर्सत नहीं रही तुम ने समझ लीया की मोहब्बत नहीं रही बेटी किया बिदा तो महशुस ये हुवा घर रह गया है घर की वो ज़ीनत नही रही |

ऐसा लगता है

ऐसा लगता है नाराज़गी बाक़ी है अभी, हाथ थामा है मगर, उसने हाथ दबाया नहीं…

जब भी वो उदास हो

जब भी वो उदास हो उसे मेरी कहानी सुना देना मेरे हालात पर हंसना उसकी पुरानी आदत है|

ज़रा सी मोहब्बत

ज़रा सी मोहब्बत क्या पी ली… जिंदगी अब तक लडखडा रही है…

मुठ्ठी भर ही सही..

मुठ्ठी भर ही सही.. इश्क सभी को है..

हमारी वफ़ा पर

हमारी वफ़ा पर खाक डालो…… – तुम बताओ आजकल किसके हो ?

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