कड़वा सच

जीवन का कड़वा सच ∥ गरीब आदमी जमीन पर बैठ जाए तो वो जगह उसकी औकात कहलाती है… और अगर कोई धनवान आदमी जमीन पर बैठ जाए तो ये उसका बड़ाप्पन कहलाता है….

जिंदगी के रूप में

जिंदगी के रूप में दो घूंट मिले, इक तेरे इश्क का पी चुके हैं..दुसरा तेरी जुदाई का पी रहे हैं !!!!

कभी मोहब्बत के

वो पतथर भी मारे तो उठा के झोलियाँ भर लूँ कभी मोहब्बत के तोहफ़ो को लौटाया नही करते ।

कहानियाँ लिखने लगा

कहानियाँ लिखने लगा हूँ मैँ अब.!! शायरियोँ मेँ अब तुम समाती नहीँ.!!

आ ज़ा फिर से

आ ज़ा फिर से मेरे ख्यालों में….कुछ बात करते हैं…. कल जहाँ खत्म हुई थी…वहीं से शुरुवात करते हैं…!!

अकड़ती जा रही हैं

अकड़ती जा रही हैं हर रोज गर्दन की नसें, आज तक नहीं आया हुनर सर झुकाने का .

रिश्तों में गर्माहट

रिश्तों में गर्माहट बरकरार रखिए, मौसम तो अभी और सर्द होगा..!!

हकीकत से बहुत

हकीकत से बहुत दूर है ख्वाहिश मेरी… फिर भी एक ख्वाहिश है,कि एक ख्वाब मेरा हकीकत हो जाए

मुस्कुराहटें झूठी भी

मुस्कुराहटें झूठी भी हुआ करती हैं, यारों, इंसान को देखना नहीं बस समझना सीखो…

कभी तो सोच

कभी तो सोच कि वो श़ख्स कितना था बुलंद,जो बिछ गया तेरे कदमों मे आसमान की तरह…

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