मैंने माँगी थी

मैंने माँगी थी उजाले की फ़क़त इक किरन तुम से ये किसने कहा आग लगा दी जाए |

तू है मेरे अंदर

तू है मेरे अंदर मुझे संभाले हुए …. के बे-करार सा रह कर भी बर-करार हूँ में ….

हम कितने दिन जिए

हम कितने दिन जिए ये जरुरी नहीं हम उन दिनों में कितना जिए ये जरुरी है|

ना करवटें थी

ना करवटें थी और ना बैचेनीयाँ थी, क्या गजब की नींद थी मोहब्बत से पहले|

नहीं जानता क्या है

नहीं जानता क्या है रिश्ता तुझसे मेरा “मन्नतों के हर धागे में एक गाँठ तेरे नाम की बाँधता हूँ मैं….

इस दुनिया में

इस दुनिया में यूँ तो कसमें बहोत लोग खाते है, सिर्फ कुछ लोग ही दिल-ओ-जान से निभाते है !!

गुज़र जाते हैं ….

गुज़र जाते हैं खूबसूरत लम्हें . यूं ही मुसाफिरों की तरह यादें वहीं खडी रह जाती हैं रूके रास्तों की तरह….

जो कहता है

जो कहता है कि वह बिल्कुल मजे में है वह या तो फकीर है या फिर नशे में है !!

नशा सामने लाकर रख दिया

उसने हर नशा सामने लाकर रख दिया और कहा… सबसे बुरी लत कौन सी है, मैंने कहा तेरे प्यार की |

हम चुप है

हम चुप है तो हमें चुप ही रहने दो..!! हम जिद पर आ गए तो जमाने से छीन लेंगे तुम्हें….!!!!

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