सोचा था घर बनाकर

सोचा था घर बनाकर बेठुंगा सुकून से, पर घर की जरूरतों ने मुसाफिर बना डाला..!!

बहुत सोचना पड़ता है

बहुत सोचना पड़ता है अब मुँह खोलने से पहले,, क्यूंकि अब दुनियाँ दिल से नहीं दिमाग से रिश्ते निभाती है …!!

मेरी जिन्दगी को

मेरी जिन्दगी को अधूरा कर दिया । वाह रे मोहब्बत तुने अपना काम पूरा कर दिया।

तन्हा सा हो गया हूँ

तन्हा सा हो गया हूँ तेरे शहर में बे सुध सा हो गया हूँ तेरे शहर में लोगो की भीड़ में तुझको खोजता मैं खुद ही खो गया हूँ तेरे शहर में दर्पण

देखकर हैरान हूं

देखकर हैरान हूं आईने का जिगर..! एक तो कातिल सी नजर उस पर काजल का कहर

अपनी पीठ से निकले

अपनी पीठ से निकले खंजरों को गिना जब मैंने,, ठीक उतने ही थे जितनों को गले लगाया था मैंने

तू कितनी भी

तू कितनी भी खूबसूरत क्यूँ ना हो ए ज़िंदगी, खुशमिजाज़ दोस्तों के बगैर तू अच्छी नहीं लगती।

नौकरी की चाहत में

नौकरी की चाहत में दिन भर जाने भटका होगा कैसे जिसके बटवे में रखने को कम गिनने को ज्यादा हैं

कुछ तो ऐसा भी करो

कुछ तो ऐसा भी करो कि प्यार उमडे बुजुर्गों में। करनी सही न हुई तो मांगने से दुआ कोई नहीं देगा।।

सारे मैखाने की शराब

पिला दे आज सारे मैखाने की शराब की बोतल ए साकी अगर ग़म-ए-यार भूल गया तो तेरा मैखाना ही खरीद लूंगा |

Exit mobile version