अपनी तो यारो

अपनी तो यारो बस इतनी सी कहानी है; कुछ तो खुद से ही बर्बाद थे; कुछ इश्क की मेहरबानी है।

रोज़ वो ख़्वाबों में

रोज़ वो ख़्वाबों में आते हैं गले मिलने को, मैं जो सोता हूँ तो जाग उठती है किस्मत मेरी…

सस्ता न समझ

सस्ता न समझ ये इश्क़ का सौदा पगली.. तेरी हँसी के बदले पूरी जिंदगी दे रहा हूँ..!”

हम दर्द सहते हैं

शुक्र करो कि हम दर्द सहते हैं, लिखते नहीं । वरना कागजों पर लफ़्ज़ों के जनाज़े उठते ॥

प्रतिशत पसीना है

प्रतिभा एक प्रतिशत प्रेरणा और निन्यानबे प्रतिशत पसीना है.

हकिकत से बहोत

हकिकत” से बहोत दूर है, “ख्वाहिश” मेरी..!!! फिर भी एक “ख्वाहिश” है कि एक ख्वाब “हकिकत” हो जाये..!

वक्त सीखा देता है

वक्त सीखा देता है फलसफा जिंदगी का फिर नसीब क्या ! लकीर क्या !! तकदीर क्या !!!

ज़हन में रखना

बदल जाओ भले तुम पर ये ज़हन में रखना..कही पछतावा ना बन जाए हम से बेरुखी इतनी.

शुक्र है कि ये

शुक्र है कि ये दिल…सिर्फ़ धड़कता है…अगर बोलता…तो कयामत आ जाती….

वास्ता नही रखना

वास्ता नही रखना तो.. फिर मुझपे.. नजर क्यूं रखता है? मैं किस हाल में जिंदा हूँ… तू ये सब.. खबर क्यूं रखता है..!!

Exit mobile version