मुझे इंसान को पहचानने की ताकत दो तुम…. या फिर मुझमें इतनी अच्छाई भरदो की…. किसी की बुराई नजर ही ना आये..
Tag: व्यंग्य
वो फूल हूँ
वो फूल हूँ जो अपने चमन में न रहा, वो लफ्ज़ हूँ जो शेरों सुख़न में न रहा, कल पलकों पे बिठाया, नज़र से गिराया आज, जैसे वो नोट हूँ जो चलन में न रहा।
मेरी मासूम मोहब्बत
मेरी मासूम मोहब्बत , की गवाही न मांग मेरी पलकों पे सितारों ने इबादत की है…
चुना था बाग से
चुना था बाग से सब से हसीं फूल समझ कर तुझे…. मालूम न था तेरा खरीदार कोई और होगा|
छलकता है कुछ
छलकता है कुछ इन आँखों से रोज़.. कुछ प्यार के कतऱे होते है ..कुछ दर्द़ के लम्हें|
जो मौत से
जो मौत से ना डरता था, बच्चों से डर गया… एक रात जब खाली हाथ मजदूर घर गया…!
बरकरार रख तू
बरकरार रख तू अपना हौंसला हर कदम पर पत्थरों पर अभी किस्मत आजमाना बाकी है..
हजारो ने दिल हारे है
हजारो ने दिल हारे है तेरी सुरत देखकर, कौन कहता है तस्वीर जूआँ नही खेलती.
जरा ठहर ऐ जिंदगी
जरा ठहर ऐ जिंदगी तुझे भी सुलझा दुंगा , पहले उसे तो मना लूं जिसकी वजह से तू उलझी है..
तुम हज़ार बार भी
तुम हज़ार बार भी रुठोगे तो मना लूंगा तुमको मगर, शर्त ये है कि मेरे हिस्से की मुहब्बत में शामिल कोई दूसरा ना हो..