आओ कभी यूँ मेरे पास की आने में लम्हे और जाने में ज़िन्दगी गुज़र जाये
Tag: व्यंग्य
तुम मुझे भूल जाओ
तुम मुझे भूल जाओ ..ये तुम्हारी मर्जी .. “लेकिन” मैं क्या करूँ .. मुझे तो भूलना भी नहीं आता !
सबका होता गया
किस्मत बुरी या मै बुरा फैसला हो ना सका ! मै सबका होता गया कोई मेरा हो ना सका !!
आदते बुरी नही
आदते बुरी नही हमारी बस थोडे शौक उँचे है वर्ना किसी ख्वाब की इतनी औकात नही, की हम देखे और वो पूरा ना हो हम बादशाहो के बादशाह है, इसलीए गुलामो जैसी हरकते नही, नोटो पर फोटो हमारा भी हो सकता, पर लोगो की जेब मे रहना हमारी फीतरत नही
ऐसा भी नहीँ है
ऐसा भी नहीँ है कि, .. मैँ जिँदगी नही जिया हुँ . . . . मैने भी उङाई है पॉलिथीन, … तेज़ आँधी मेँ धागा बाँधकर . . .
इतना गुमान न कर
अपनी जीत का इतना गुमान न कर बेखबर, शहर मे तेरी जीत से ज्यादा मेरी हार के चर्चे हैं
छोटी छोटी बातें
छोटी छोटी बातें दिल में रखने से बड़े बड़े रिश्ते कमजोर हो जाते हैं
मौजूदगी बयाँ करता है।
तजुर्बे ने शेरों को खामोश रहना सिखाया; क्योंकि दहाड़ कर शिकार नहीं किया जाता; कुत्ते भौंकते हैं अपने जिंदा होने का एहसास दिलाने के लिए; मगऱ जंगल का सन्नाटा शेर की मौजूदगी बयाँ करता है।
खुश नहीं आजकल
तेरी नाराजगी वाजिब है… दोस्त,….! . . . . मैं भी खुद से खुश नहीं आजकल,….!!
याद से भरा
बालकनी में आराम कुर्सी पर पड़ा हुआ है एक बोरा तुम्हारी याद से भरा।