सिर्फ मोहब्त ही ऐसा खेल है जो सिख जाता है वही हार जाता है..!!
Tag: व्यंग्य
ठुकराना भी अच्छा है
किसी का ठुकराना भी अच्छा है ओकात का तो पता चलता है ……
गलतफेहमियो के सिलसिले
गलतफेहमियो के सिलसिले इस कदर है आज कल … कि जेल से छूटा देशद्रोही भी समझता है कि मै क्रन्तिकारी हूँ…
जो शहीद हो गए
गुमनाम हैं वो शख्स जो शहीद हो गए, नारे लगाने वाले यहाँ मशहूर हो गये….
ख्वाबो में भी
ख्वाबो में भी फरार होना मुमकिन है,मेरे बिस्तर पर बेड़िया रख दो…
आएंगे हम याद तुम्हे
आएंगे हम याद तुम्हे एक बार फिर से.. जब तेरे अपने फ़ैसले तुझे सताने लगेंगे !!
पहली बार जीते हो
पसंद हे मुझे उन लोगो से हारना जो मेरे हारने की वज्ह से पहली बार जीते हो
कर्म देखता है
तेरा मेरा करते एक दिन चले जाना है, जो भी कमाया यही रह जाना है ! कर ले कुछ अच्छे कर्म, साथ यही तेरे जाना है ! रोने से तो आंसू भी पराये हो जाते हैं, लेकिन मुस्कुराने से… पराये भी अपने हो जाते हैं ! मुझे वो रिश्ते पसंद है, जिनमें ” मैं ”… Continue reading कर्म देखता है
जुबान के सच्चे
रिश्तो के बजार में आजकल.. वो लोग हमेशा अकेले पाये जाते हैं, सहाब जो दिल और जुबान के सच्चे होते हैं.
यूँहीं फ़िदा है
हम तो यूँहीं फ़िदा है तुम पर,तुम्हे सजने की जरूरत क्या है ।।