थोड़ी सी खुद्दारी भी लाज़मी थी… उसने हाथ छुड़ाया,मैंने छोड़ दिया…
Tag: व्यंग्य
हाथ बेशक छूट गया
हाथ बेशक छूट गया, लेकिन वजूद उसकी उंगलियो में ही रह गया..
ये शाम कबसे
ये शाम कबसे बेकरार है ढलने को. तू इक दफे आँचल में अपने मुझे संभालने की ख्वाहिश तो कर|
मैं वो बात हूँ
मैं वो बात हूँ, जो बनी नहीं.. मैं वो रात हूँ,जो कटी नहीं !!
जीना है सब के साथ
जीना है सब के साथ कि इंसान मैं भी हूँ, चेहरे बदल बदल के परेशान मैं भी हूँ !!
ज़िन्दगी के हिसाब किताब
ज़िन्दगी के हिसाब किताब भी बड़े अजीब थे जब तक हम अज़नबी थे, ज्यादा करीब थे….
मोहब्बत की किताब
कैसे लिखोगे मोहब्बत की किताब तुम तो करने लगे पल पल का हिसाब|
बचा न कहने को
कुछ भी बचा न कहने को हर बात हो गई आओ कहीं शराब पिएँ रात हो गई|
जरा सी मोहब्बत
जरा सी मोहब्बत क्या पी ली कि जिन्दगी अब तक लड़खड़ा रही है….
जिंदगी मेरे कानो मे
जिंदगी मेरे कानो मे अभी होले से कुछ कह गई, उन रिश्तो को संभाले रखना जिन के बिना गुज़ारा नहीं होता|