तुम से बेहतर तो तुम्हारी निगाहें थीं, कम से कम बातें तो किया करतीं थीं…
Tag: वक्त शायरी
कहाँ खर्च करूँ
कहाँ खर्च करूँ , अपने दिल की दौलत… सब यहाँ भरी जेबों को सलाम करते हैं…
जो दिखता तुझसा है
मालूम नहीं है मुझको हुस्न की तारीफ मगर मेरे लिए हर वो शख्स खूबसूरत है जो दिखता तुझसा है
वक्त ही ना मिले
खुद की तरक्की में इतना समय लगा दो की किसी ओर की बुराई का वक्त ही ना मिले…… “क्यों घबराते हो दुख होने से, जीवन का प्रारंभ ही हुआ है रोने से.. नफरतों के बाजार में जीने का अलग ही मजा है… लोग “रूलाना” नहीं छोडते… और हम ” हसना” नहीं……
पसीना बना दे
मुकद्दर एक रोज जरुर बदलेगा बस इतना कर, जिस्म मैं दौड़ते लहू को माथे का पसीना बना दे
शिकायते तो बहुत है
शिकायते तो बहुत है तुझसे ए जिन्दगी; पर जो दिया तूने, वो भी बहुतो को नसीब नही….
हार की परवाह
हार की परवाह करता,तो मै जीतना छोड़ देता…लेकिन “जीत” मेरी ‘जिद’ है,और जिद का मै बादशाह हूँ…!
सपने बेच दिये..
भूख मिटाने की खातिर, हमने सपने बेच दिये…?
भुला नही सकता…!
मुझे अपने किरदार पे इतना तो यकिन है, कोई मुझे छोड तो सकता है मगर भुला नही सकता…!
तुम मुझे भुलाओगे
कभी खामोश बैठोगे कभी कुछ गुनगुनाओगे, मै उतना याद आउगाँ जितना तुम मुझे भुलाओगे