Daur bhi guzar gya

Kahan ka ishq? Kahan ki wafa?? Kahan ki Mohabbat?? Arey sahab; Wo log bhi guzar gye, aur wo Daur bhi guzar gya

Naam Liye Bagair

Meri Mohabbat Ki Na Sahi, Mere Saleeke Ki To Daad De… Tera Zikr Roz Karte Hain, Tera Naam Liye Bagair

चादर की तरह

एक रूह है.. जैसे जाग रही है.. एक उम्र से… । एक जिस्म है.. सो जाता है बिस्तर पर.. चादर की तरह… ।।

फिजूल बिल्कुल नही

अगर फुर्सत के लम्हों मे आप मुझे याद करते हो तो अब मत करना.. क्योकि मे तन्हा जरूर हुँ, मगर फिजूल बिल्कुल नही.

हमें मालूम नहीं था

कभी यूँ भी हुआ है हंसते-हंसते तोड़ दी हमने… हमें मालूम नहीं था जुड़ती नहीं टूटी हुई चीज़ें..!!

सब कुछ है

कई रिश्तों को परखा तो नतीजा एक ही निकला, जरूरत ही सब कुछ है, महोब्बत कुछ नहीं होती……..॥

मोहब्बत की नहीं थी

मुझ पर इलज़ाम झूठा है …. मोहब्बत की नहीं थी…. हो गयी थी

कमबख्त गुम हो गई

हिचकियों में वफ़ा को ढूँढ रहा था मैं..! कमबख्त गुम हो गई…दो घूँट पानी से .. !!

बातों बातों में

बात हुई थी समंदर के किनारे किनारे चलने की.. बातों बातों में निगाहों के समंदर में डूब गए..

मतलबों के सलाम हैं

अब कहां दुआओं में वो बरकतें,…वो नसीहतें …वो हिदायतें, अब तो बस जरूरतों का जुलुस हैं …मतलबों के सलाम हैं”

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