एक मुद्दत से

एक मुद्दत से तुम निगाहों में समाए हो…! एक मुद्दत से हम होंश में नहीं हैं ..!!

खरोंचों के होते है..

कभी कभी कुछ घाव खुद कि खरोंचों के होते है..

पहाड़ों के क़दों की खाइयाँ

पहाड़ों के क़दों की खाइयाँ हैं बुलन्दी पर बहुत नीचाइयाँ हैं है ऐसी तेज़ रफ़्तारी का आलम कि लोग अपनी ही ख़ुद परछाइयाँ हैं गले मिलिए तो कट जाती हैं जेबें बड़ी उथली यहाँ गहराइयाँ हैं हवा बिजली के पंखे बाँटते हैं मुलाज़िम झूठ की सच्चाइयाँ हैं बिके पानी समन्दर के किनारे हक़ीक़त पर्वतों की… Continue reading पहाड़ों के क़दों की खाइयाँ

कागज़ पर उतारे

कागज़ पर उतारे कुछ लफ्ज़, ना खामखा थे.. ना फ़िज़ूल थे.. ये वो जज़्बात थे.. लब जिन्हें कह ना पाएं थे कभी…!!

ख्वाहिश भले छोटी सी

ख्वाहिश भले छोटी सी हो लेकिन… उसे पूरा करने के लिए दिल ज़िद्दी सा होना चाहिए..

मुड़कर नहीं देखता

मुड़कर नहीं देखता अलविदा के बाद , कई मुलाकातें बस इसी गुरुर ने खो दी।

एक लम्हा भी

एक लम्हा भी मसर्रत का बहुत होता है, लोग जीने का सलीका ही कहाँ रखते हैं।

बेशुमार दिल मिलते हैं

एक बाज़ार है ये दुनिया… सौदा संभाल के कीजिए… मतलब के लिफ़ाफ़े में… बेशुमार दिल मिलते हैं…

अंजाम का खयाल

आने लगा हयात को अंजाम का खयाल, जब आरजूएं फैलकर इक दाम बन गईं।

अगर कांटा निकल जायें

अगर कांटा निकल जायें चमन से, तो फूलों का निगहबां कौन होगा।

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