लहरों की ज़िद पर क्यों अपनी शक़्ल बदल लेतीं है , दिल जैसा कुछ होता होगा शायद इन चट्टानों में।
Tag: प्यार शायरी
सुखे पत्तों की तरह
सुखे पत्तों की तरह बिखरा हुआ था मैं , किसी ने बड़े प्यार से समेटा……. .फिर आग लगा दी !
कभी इतना मत मुस्कुराना
कभी इतना मत मुस्कुराना की नजर लग जाए जमाने की, हर आँख मेरी तरह मोहब्बत की नही होती….!!!
लुटा चुका हूँ
लुटा चुका हूँ बहुत कुछ अपनी जिंदगी में यारो मेरे वो ज़ज्बात तो ना लूटो, जो लिखकर बयाँ करता हूँ|
ठान लिया था
ठान लिया था कि अब और शायरी नही लिखेंगे पर उनका पल्लू गिरा देखा और अल्फ़ाज़ बग़ावत कर बैठे|
मुस्कुरा के चल दिये॥
दिल के टुकड़े टुकड़े करके, मुस्कुरा के चल दिये॥
कभी नूर-ओ-रँग
कभी नूर-ओ-रँग भरे चेहरे से इन घनी जुल्फोँ का पर्दा हटाओ,जरा हम भी तो देखेँ, आखिर चाँद होता कैसा है….!!!
छुप जाऊँ मै
किसी के नहीं होते
आसमां पे ठिकाने किसी के नहीं होते, जो ज़मीं के नहीं होते, वो कहीं के नहीं होते..!! ये बुलंदियाँ किस काम की दोस्तों… की इंसान चढ़े और इंसानियत उतर जायें….
वो लोग भी चलते है
वो लोग भी चलते है आजकल तेवर बदलकर … जिन्हे हमने ही सिखाया था चलना संभल कर…!