इश्क ओर दोस्ती

इश्क ओर दोस्ती मेरे दो जहान है, इश्क मेरी रुह, तो दोस्ती मेरा ईमान है, इश्क पर तो फिदा करदु अपनी पुरी जिंदगी, पर दोस्ती पर, मेरा इश्क भी कुर्बान है

छोटे से दिल में

छोटे से दिल में गम बहुत है, जिन्दगी में मिले जख्म बहुत हैं, मार ही डालती कब की ये दुनियाँ हमें, कम्बखत दोस्तों की दुआओं में दम बहुत है

बातचीत करनी है

बातचीत करनी है तो तुफानो की कर लहरो से तो हम लड़कपन में खेला करते थे !!

हम छोड़ देंगे

न कहा करो हर बार की हम छोड़ देंगे तुमको, न हम इतने आम हैं, न ये तेरे बस की बात है…!!

फासला अब भी

फासला अब भी , दो क़दमों का ही है ….. कदम कौन बढ़ाए , तय ये नहीं है …..!!

मौत देने के लिये

जहर के असरदार होने से कुछ नही होता दोस्त। खुदा भी राजी होना चाहिए मौत देने के लिये।।

कैसे शिकारी हो

तिरछी निगाहों से न देखो हुस्न की शमशीर को, कैसे शिकारी हो यारा सीधा तो कर लो तीर को

मुल्क का दस्तूर

जिन कायदों को तोड़ के मुजरिम बने थे हम वो क़ायदे ही मुल्क का दस्तूर हो गए

पलकें भी चमक जाती

पलकें भी चमक जाती हैं सोते में हमारी, आंखों को अभी ख्वाब छुपाने नहीं आते।

मैं अपनी धुन में

मैं अपनी धुन में आग लगाता चला गया सोचा न था कि ज़द में मेरा घर भी आएगा

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