क्यूँ मुश्किलों में

चंद लाइने मेरे प्यारे से दोस्तों के नाम:- “क्यूँ मुश्किलों में साथ देते हैं, “दोस्त” “क्यूँ गम को बाँट लेते हैं, “दोस्त” “न रिश्ता खून का न रिवाज से बंधा है। “फिर भी ज़िन्दगी भर साथ देते हैं, “दोस्त”

वकील से ताल्लुक

किसी मोहब्बत वाले वकील से ताल्लुक हो तो बताना दोस्तों ……? मुझे अपना महबूब अपने नाम करवाना हैं॥

साँसों की पतंगें

कटी जाती है साँसों की पतंगें हवा तलवार होती जा रही है, गले कुछ दोस्त आकर मिल रहे हैं छुरी पर धार होती जा रही है…!!!

दरवाज़े बड़े करवा लिए

दरवाज़े बड़े करवा लिए हैं अब हमने भी अपने आशियानेके… क्योंकि कुछ दोस्तों का कद बड़ा हो गया है चार पैसे कमाकर..!!

फासला अब भी

फासला अब भी , दो क़दमों का ही है ….. कदम कौन बढ़ाए , तय ये नहीं है …..!!

मौत देने के लिये

जहर के असरदार होने से कुछ नही होता दोस्त। खुदा भी राजी होना चाहिए मौत देने के लिये।।

इतने क़रीब ना था

मेरे घर से मयखाना इतने क़रीब ना था…!!! दोस्तों… कुछ लोग दूर होते गये और वो पास आ गया…!!!

टुकड़े टुकड़े होकर

उनकी नफरत भरी नज़रों के तीर तो बस हमारी जान लेने का बहाना था दिल हमारा टुकड़े टुकड़े होकर बिखर गया पूरी महफ़िल बोली वाह ! क्या निशाना था

अच्छे लोग खामोश है।

ये दुनिया इसलिए बुरी नही के यहाँ बुरे लोग ज्यादा है। बल्कि इसलिए बुरी है कि यहाँ अच्छे लोग खामोश है।।

मुझे मालूम है

मुझे मालूम है कुछ रास्ते कभी मंजिल तक नहीं जाते फिर भी मैं चलता रहता हू क्यूँ कि उस राह में कुछ अपनों के घर भी आते है …!!

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