जब उस की ज़ुल्फ़ में पहला सफ़ेद बाल आया तब उस को पहली मुलाक़ात का ख़याल आया…
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नया कुछ भी नहीं
नया कुछ भी नहीं हमदम, वही आलम पुराना है; तुम्हीं को भुलाने की कोशिशें, तुम्हीं को याद आना है…
इतनी तो तेरी सूरत भी
इतनी तो तेरी सूरत भी नहीं देखी मैने, जितना तेरे इंतज़ार में घड़ी देखी है !!
एक तो उसकी पाजेब
एक तो उसकी पाजेब भी जानलेवा थी ऊपर से ज़ालिम ने पैरों में मेहन्दी रचाई है
दर्द की भी अपनी ही
दर्द की भी अपनी ही एक अदा है..वो भी सिर्फ सहने वालों पर ही फिदा है..
लहजा शिकायत का
लहजा शिकायत का था मगर…. सारी महफिल समझ गई “मामला मोहब्बत का है”
आज वो मशहूर हुए
आज वो मशहूर हुए, जो कभी काबिल ना थे.. मंज़िलें उनको मिली, जो दौड़ में शामिल ना थे.!!
यूँ असर डाला है
यूँ असर डाला है मतलब-परस्ती ने दुनियाँ पर कि, हाल भी पूछो तो लोग समझते हैं, कोई काम होगा. ..
मुकम्मल इश्क की
मुकम्मल इश्क की तलबगार नहीं हैं आँखें… थोडा-थोडा ही सही.. तेरे दीदार की चाहत है…
अब ना करूँगा
अब ना करूँगा अपने दर्द को बयाँ किसीके सामने, दर्द जब मुझको ही सहना है तो तमाशा क्यूँ करना !!