क्यों सताते हो मुझे यूँ दुरियाँ बढ़ाकर, क्या तुम्हे
मालूम नहीं अधूरी हो जाती है तुझ बिन जिन्दगी
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
क्यों सताते हो मुझे यूँ दुरियाँ बढ़ाकर, क्या तुम्हे
मालूम नहीं अधूरी हो जाती है तुझ बिन जिन्दगी