चेहरे और पोशाक

चेहरे और पोशाक से आँकती है दुनिया, रूह में उतर कर कब झाँकती है दुनिया।

यूँ ही आँखें

यूँ ही आँखें किसी की नम नहीं होतीं। दिल टूटता है पहले, फिर बनते हैं मोती।

दर्द मीठा हो

दर्द मीठा हो तो रुक -रुक के कसक होती है, याद गहरी हो तो थम -थम के करार आता है।

मैं आदमी हूँ

मैं आदमी हूँ कोई फ़रिश्ता नहीं हुज़ूर मैं आज अपनी ज़ात से घबरा के पी गया

बिन तुम्हारे कभी नही

बिन तुम्हारे कभी नही आयी क्या मेरी नींद भी तुम्हारी है|

दिल रोता है

दिल रोता है चेहरा हँसता रहता है कैसा कैसा फ़र्ज़ निभाना होता है..

जो गुज़ारी न जा सकी

जो गुज़ारी न जा सकी हम से हम ने वो ज़िंदगी गुज़ारी है

ज़िंदगी जिनसे हो

ज़िंदगी जिनसे हो ख़फ़ा, उनसे रूठ जाती है मौत भी शायद

उसे भरम है

उसे भरम है अभी के वो नादान जीतेगा। जो सच्चा होगा वही मेरी जान जीतेगा । तू डरता क्यूँ है इन झूठ के सौदागरों से । जंग जब भी होगी दावा है ईमान जीतेगा।।

हम मरेगें भी तो

हम मरेगें भी तो उस अंदाज से, जिस अंदाज में लोग जीने को भी तरसते है।

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