मुझको मेरे वजूद की हद तक न जानिए , बेहद हूँ, बेहिसाब हूँ, बेइन्तहा हूँ मैं …!!
Category: Whatsapp Shayri
खामोशी अलामत है
मेरी खामोशी अलामत है मेरे इखलाख की इसे बेजूबानी ना समझो
खास हूनर रखते है
वो भी अपने होठो पे इक खास हूनर रखते है दिल तोड के कह देते है कि आखिर हुआ क्या है…!!
मुश्किलें तमाम है
जिन्दगी में मुश्किलें तमाम है, फिर भी इन होठों पे मुस्कान है, जीना जब हर हाल में है तो, फिर मुस्कुराकर जीने में क्या नुकसान है !!
खास हूनर रखते है
वो भी अपने होठो पे इक खास हूनर रखते है, दिल तोड के कह देते है कि आखिर हुआ क्या है…!!
दिन क़रीब है
कह दो गमो से कहीं और बसेरा करे अब..!! मेरे आक़ा की विलादत का दिन क़रीब है..!!
ठंडी नही होती
रोटी किसी माँ की कभी ठंडी नही होती। मैने फुटपाथो पर भी,जलते चूल्हे देखे है।
बिखर गयी है ज़िन्दगी
कांच के टुकड़े बनकर बिखर गयी है ज़िन्दगी मेरी… किसी ने समेटा ही नहीं… हाथ ज़ख़्मी होने के डर से…
रूह से निकल जाओ
बिछड़ना है तो रूह से निकल जाओ.. रही बात दिल की तो उसे हम देख लेंगे..
लोग मोहब्बत कहते हैं…
मुस्कुराने से शुरू और रुलाने पे खतम…। ये वो जुल्म हैं जिसे लोग मोहब्बत कहते हैं…