कहने को ही मैं अकेला हूं.. वैसे हम चार है.. एक मैं..मेरी परछाई.. मेरी तन्हाई.. और कुछ एहसास…
Category: Urdu Shayri
मत पूँछ मुझसे
हैं दफ्न मुझमें मेरी कितनी रौनकें, मत पूँछ मुझसे….!! उजड़ – उजड़ के जो बसता रहा, वो शहर हूँ मैं…
हमारे पास तो सिर्फ
हमारे पास तो सिर्फ तेरी याद हैं… जिंदगी तो उसे मुबारक जिसके पास तू हैं !
जी में आता है
बांध लूँ हाथों पे, सीने पे सजा लूँ तुमको, …. जी में आता है, अब तावीज़ बना लूँ तुमको !!!
ज़िन्दगी का नाम
सांसों के सिलसिले को ना दो ज़िन्दगी का नाम… जीने के बावजूद भी, मर जाते हैं कुछ लोग !
पहुंच हे हमारी
पहुंच हे हमारी चाँद तक , ये तारे भी हमें सलाम किया करते हैं ये आसमा भी झुक जाता है…. जब हम आपको याद किया करते हैं..!
आज लफ्जों को
आज लफ्जों को मैने शाम को पीने पे बुलाया है बन गयी बात तो ग़ज़ल भी हो सकती है
मायने रखता है
मेरे लिए अहसास मायने रखता है… रिश्ते का नाम चलो , तुम रख लो
कुछ अधूरा सा
कुछ अधूरा सा कहा है.. तुम पूरा समझ लेना..!
उल्फत की जंजीर
उल्फत की जंजीर से डर लगता हैं, कुछ अपनी ही तकदीर से डर लगता हैं, जो जुदा करते हैं, किसी को किसी से, हाथ की बस उसी लकीर से डर लगता हैं..