सिसकियाँ लेता है वजूद मेरा ‘गालिब’…, नोंच नोंच कर खा गई तेरी यादें मुझे…।
Category: Shayri-E-Ishq
मरी वफा पे
मरी वफा पे खाक दालो… .ये बताओ आज कल किसके हो…!
मोहब्बत मिलती है
सुना था मोहब्बत मिलती है, मोहब्बत के बदले, . . लेकिन, . . हमारी बारी आई तो, रिवाज ही बदल गया…
खुशियों का पता
खुशियों का पता, दूर से हांफते हुए आते बच्चे ने सरकारी नल से पी सकने जितना पानी पिया, और गीले हाथों में सिमट आई खुशियों को मल लिया मैली कमीज़ पर…!!!
वो मासूमियत से
दम तोड़ जाती है हर एक शिकायत लबो पे आकर ,,,, जब वो मासूमियत से कहती है मैंने क्या किया है ।
जिंदगी मे काश
जिस उम्र मे जो करने का मन हो, वो उसी उम्र मे कर लेना चाहिए..! वरना, जिंदगी मे ‘काश’ बढ़ जाते हैं…!!
झुर्रियां दिखने लगी है
ख्वाहिशों की झुर्रियां दिखने लगी है … . . . और जिम्मेदारीयाँ जवाँ होने लगी है …!!
बेटी का अहम
वृद्धाआश्रम में माँ बाप को देखकर सब बेटो को ही कोसते हैं भूल जाते हैं की वहां भेजने मे किसी की बेटी का अहम रोल होता है
ईल्जाम नही लगाता
मै किसी और की सूरत पर ईल्जाम नही लगाता मैं सुबह उठते ही सबसे पहले आईना देखता हूं.
चुभता तो बहुत कुछ
चुभता तो बहुत कुछ मुझको भी है तीर की तरह, मगर ख़ामोश रहेता हूँ, अपनी तक़दीर की तरह|