नज़्म तेरे नाम की

लिख दूँ…कि रहने दूँ… नज़्म तेरे नाम की…?

उसकी चाहत में

उसकी चाहत में हम यूं बंधे हैं कि वो साथ भी नहीं और हम आजाद भी नहीं ।

कभी मिल सको तो

कभी मिल सको तो इन पंछियो की तरह बेवजह मिलना ए दोस्त वजह से मिलने वाले तो न जाने हर रोज़ कितने मिलते है !!

उसकी जब मर्जी होती है

उसकी जब मर्जी होती है वो हम से बात करती हैं. पर हमारा पागलपन तो देखो हम फिर भी पूरा दिन उसकी मर्जी का इंतजार करते हैं|

इस बरस मोहब्बत हो

लगता है.. इस बरस मोहब्बत हो ही जायेगी मुझे.. मेने ख्वाबो में खुद को मरते हुए देखा है..

सितारों की फसलें

सितारों की फसलें उगा ना सका कोई मेरी ज़मीं पे कितने ही आसमान रहे

करवट बदलने का क्या

करवट बदलने का क्या फायदा, इस तरफ भी तुम, उस तरफ भी तुम

अजीब बात है

अजीब बात है वो एक सी खताओं पर किसी को कैद किसी को रिहाई देता है|

तेरी हालत से

तेरी हालत से लगता है तेरा अपना था कोई….!! “इतनी सिद्दत से बरबाद कोई गैर नहीं करता..!!

वक़्त बदलता है

वक़्त बदलता है ज़िन्दगी के साथ; ज़िन्दगी बदलती है वक़्त के साथ; वक़्त नहीं बदलता अपनों के साथ; बस अपने बदल जाते हैं वक़्त के साथ |

Exit mobile version