तस्वीर रह गई

सिर्फ तस्वीर रह गई बाकी जिसमें हम एक साथ बैठे हैं …॥

ना चाहते हुये भी

ना चाहते हुये भी साथ छोड़ना पड़ता है… जनाब,मज़बूरी मोहब्बत से ज्यादा ताकतवर होती है..!!

कुछ जख्म हैं

कुछ जख्म हैं कि दिखते नहीं, मगर ये मत समझिए कि दुखते नहीं|

शिक़ायत करने जा रहा हूँ

डाकिये की शिक़ायत करने जा रहा हूँ मैं, मेरे पते की ख़ुशियां कहीं और दे आया है|

अब क्या मुकाम आता है

देखिये अब क्या मुकाम आता है साहेब, सूखे पत्ते को इश्क हुआ है बहती हवा से..

तहलील नहीं हो पाती

शायरी रूह में तहलील नहीं हो पाती हमसे जज्बात की तशकील नहीं हो पाती हम मुलाजिम हैं मगर थोडी अना रखते हैं हमसे हर हुक्म की तामील नहीं हो पाती आसमां छीन लिया करता है सारा पानी आंख भरती है मगर झील नहीं हो पाती रात भर नींद के सहरा में भटकता हूँ मगर सुब्ह… Continue reading तहलील नहीं हो पाती

तुम ने पढ़ा होगा गालिब

तुम ने पढ़ा होगा गालिब, फ़राज़ और मीर को.. हमने तो साहब जिंदगी को पढ़ा है..

जख़्म खुद ही बता

जख़्म खुद ही बता देंगे तीर किसने मारा है …… ये हमने कब कहा कि ये काम तुम्हारा है |

भरोसा ही किया था

इतना भी दर्द ना दे ऐ ज़िन्दगी भरोसा ही किया था..कोई कत्ल तो नही ..

यूँ रुलाया न कर

बात-बात पे यूँ रुलाया न कर ऐ-ज़िन्दगी.. जरुरी नहीं सबकी ज़िन्दगी में कोई चुप कराने वाला हो..

Exit mobile version