निगाह ए इश्क

निगाह ए इश्क का अब क्या करे जनाब जब भी देखा तुम्हे बेपनाह देखा|

शिकायतों की पाई-पाई

शिकायतों की पाई-पाई जोड़ कर रखी थी मैंने……..उसने गले लगाकर सारा हिसाब बिगाड़ दिया………

पूछ लेते वो बस

पूछ लेते वो बस मिजाज मेरा ……. कितना आसान था इलाज मेरा….

कभी मना लिया करो….

रिश्तों को बस इस तरह से बचा लिया करो . कभी मान जाया करो कभी मना लिया करो….

हादसों से घिरी रहती है

जिंदगी अजीब हादसों से घिरी रहती है, पसंद के लोग अक्सर बिछड़ते रहते हैं..!

अजीब पैमाना है

अजीब पैमाना है यहाँ शायरी की परख का….. जिसका जितना दर्द बुरा, शायरी उतनी ही अच्छी….

अब हिचकियाँ आती हैं

अब हिचकियाँ आती हैं तो पानी पी लेते हैं ये वहम छोड़ दिया हैं कि कोई याद करता हैं…

खामोश रहती है

खामोश रहती है वो तितली जिसके रंग हज़ार हैं और शोर करता रहा वो कौवा, ना जाने किस गुमान पर !

खत्म हो जाते है

शक से भी खत्म हो जाते है रिश्ते हर बार कसूर गलतियो का नी होता|

गुजर गया आज का दिन

गुजर गया आज का दिन भी यूँ ही बेवजह ना मुझे फुर्सत मिली ना आपको ख्याल आया|

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