कुछ न कुछ

कुछ न कुछ तो है उदासी का सबब… अब मान भी जाओ की याद आते है..हम…

मेरे ख्वाब में आना…

कुछ,अधूरी बातें..पूरी करनी है, तुम ,आज फिर मेरे ख्वाब में आना…

मत कर हिसाब

मत कर हिसाब तू मेरी मोहब्बत का. वरना.. ब्याज में ही तेरी जिन्दगी गुजर जाएगी…

आँखे तक निचोड़ कर

आँखे तक निचोड़ कर पी गए… तेरे गम भी न, कितने प्यासे थे…

किताब मेरी, पन्ने मेरे

किताब मेरी, पन्ने मेरे और सोच भी मेरी; फिर मैंने जो लिखे वो ख्याल क्यों तेरे!

कौन पूछता है

कौन पूछता है पिंजरे में बंद परिंदों को; याद वही आते हैं जो उड़ जाते हैं!

बहुत अलग सा है

बहुत अलग सा है मेरे दिल का हाल; एक तेरी ख़ामोशी और मेरे लाखों सवाल!

पहले भी था

पहले भी था अब भी है इश्क़ हमारा बाग़ का चौकीदार हो गया|

खूबसूरती न सूरत में है

खूबसूरती न सूरत में है न लिबास में…. निगाहें जिसे चाहे उसे हसीन कर दें|

भरोसे कितने भी

भरोसे कितने भी टूट जाये, मगर भरोसे की आदत नहीं ।

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