ये कौन सा

ये कौन सा रिश्ता है जो मेरी आँखो से रिस्ता है

लोग दीवाने हैं

लोग दीवाने हैं बनावट के साहब,हम अपनी सादगी ले के कहां जाएं….

वापिस खुद में

वापिस खुद में खुद को पहचान लूँ, इस कदर अजनबी हो जा तू मुझसे…

जब आता है

जब आता है गर्दिश का फेर , मकड़ी के जाले में फसता है शेर…

कब्र को देख के

कब्र को देख के, ये रंज होता है दोस्त… के इतनी सी जगह, पाने के लिए कितना जीना पड़ता है.

कुछ पल का साथ

कुछ पल का साथ दे कर तुम ने पल पल के लिए बेचैन कर दिया मुझको ..

अब सहारों की बात

अब सहारों की बात मत करना….… – अब दिलासों से भर गया है दिल….

ताउम्र बस

ताउम्र बस एक यही सबक याद रखिये..! इश्क़ और इबादत में नियत साफ़ रखिये…!!

कट रही है

कट रही है ज़िंदगी रोते हुए…. और वो भी तुम्हारे होते हुए…||

चलो मान लिया

चलो मान लिया हमने के हमे मोहब्बत करनी नहीं आती…. तुम बताओ “ऐ जान” तुम्हे दिल तोड़ना किसने सिखाया….,

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