वो दिल से

एक खेल रत्न उसको भी दे दो बड़ा अच्छा खेलती है वो दिल से

इश्क़ बनाने वाले

ये इश्क़ बनाने वाले की मैं तारीफ करता हूँ… मौत भी हो जाती है और क़ातिल भी पकड़ा नही जाता

इश्क का होना

इश्क का होना भी लाजमी है शायरी के लिये,,,, कलम लिखती तो आज हर लिपिक ग़ालिब होता …..

ख़्याल भीग गये..

बूँदे कुछ यूँ गिरी, क़ि कुछ ख़्याल भीग गये…

कहाँ खर्च करूँ

कहाँ खर्च करूँ , अपने दिल की दौलत… सब यहाँ भरी जेबों को सलाम करते हैं..!!……..

‪सारी‬ दुनियाँ के

‪सारी‬ दुनियाँ के ‪’बदलने‬’ से हमे फर्क नहीं ‪पड़ता‬,,,, बस कुछ ‪’अपनों‬’ का ‪’बदलना‬’ अजीब लगता है।…

कतरा-कतरा हम

कतरा-कतरा हम यू ही जिया करते है…, ऐ जिंदगी…, वक़्त ने मारा है हम को…, फिर भी वक़्त की क़दर किया करते है…!!

वाह वाह बोलने की

वाह वाह बोलने की आदत डाल लो, . . . मै अपनी बरबादियां लिखने वाला हुं…

हमें तो सुख

हमें तो सुख मे साथी चाहिये दुख मे तो हमारी “माँ” अकेली ही काफी हैं…

अपने लिए हूँ

अच्छा बुरा जैसा भी हूँ …अपने लिए हूँ…. में खुद को नहीं देखता…ओरों की नज़र से ।।

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