तनहाई गवाह है

हो जो मुमकिन तो मुझे अपना बना लो तुम, मेरी तनहाई गवाह है मेरा अपना कोई नही ।

इन आंसूओं की

अगर इन आंसूओं की कुछ किमत होती, तो कल रात वाला तकिया अरबों में बिकता

हदों से गुजर गया

सारा बदन अजीब से खुशबु से भर गया शायद तेरा ख्याल हदों से गुजर गया..

अगर तुम्हें यकीं है

अगर तुम्हें यकीं नहीं, तो कहने को कुछ नहीं मेरे पास.. अगर तुम्हें यकीं है, तो मुझे कुछ कहने की जरूरत नही..

तेरे बिन ये ज़िंदगी

कुछ च़ीजे बेमतलब़ की होती हैं.. . . जैसे तेरे बिन ये ज़िंदगी..

बड़ी मुश्किल से

बड़ी मुश्किल से सुलाया है ख़ुद को मैंने, अपनी आंखों को तेरे ख़्वाब क़ा लालच देकर..

ग़ौर से देखतें हैं

वो बड़े ग़ौर से देखतें हैं , हमारी तस्वीर ….. शायद उसमें , जान डालने का इरादा है उनका …..!!

तेरे लहजे में

तेरे लहजे में लाख मिठास सही मगर….! . . . मुझे जहर लगता है तेरा औरों से बात करना….!!.

हम बुरे हैं

हम बुरे हैं हम भी मानते हैं मगर… तुम कहते हो तो बुरा लगता है..

खुदा तु भी

खुदा तु भी कारीगर निकला.. खीच दी दो-तीन लकीरों हाथों में.. ये भोला आदमी उसे तकदीर समझ बैठा ।।।

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