यूँ तो मुद्दे और मसले बहुत हैं लिखने को मगर,कमबख्त उँगलियों को तेरा ही ज़िक्र अज़ीज़ है…!!!
Category: Sad Shayri
मुद्दते गुजार दी
युँ तो मुद्दते गुजार दी है हमने तेरे बगैर… मगर, आज भी तेरी यादों का एक झोंका मुझे टुकड़ो मे बिखेर देता है..
पानी फेर दो
पानी फेर दो इन पन्नों पर.ताकि धुल जाए स्याही ,, जिंदगी फिर से लिखने का मन करता है कभी -कभी ..
भुला ना पाए
कोई भी चीज़ ज़माने में न थी नामुमकिन… बस इक तू ही है जिसे हम भुला ना पाए कभी
जमाना जल जाएगा
ये जमाना जल जाएगा किसी शोले कि तरह, जब तेरे हाँथ कि उंगली में होगी मेरे नाम कि अंगूठी.!
उनकी गलियों में
उनकी गलियों में सफाई अभियान जरा ध्यान से चलाना यारों शायद बिखरे सपनों के मलबे के साथ मेरे दिल के टुकड़े भी मिले..
करीब आओगे
करीब आओगे तो शायद हमें समझ लोगे…, ये फासले तो ग़लतफ़हमियां बढ़ाते है..
पूरी शिद्दत से
जो भी सोचा ,पूरी शिद्दत से किया मैखाने से कभी मैं ,अपने पैरों पे नहीँ लौटा ,.,!!
ज़ख्म कैसे भी हों
ज़ख्म कैसे भी हों भर जाते हैं रफ़्ता रफ़्ता ज़िंदगी ठोकरें खा- खा के, संभलती रहती है…
जब रात को नींद
जब रात को नींद ना आये, और दिल की धड़कन भी बढ़ जाये.. . तब.. . दूसरों की नींद खराब करो, शायद.. उनकी दूआ से आपको नींद आ जाये..