गिरना ही था

गिरना ही था तुमको तो सौ मुकाम थे, ये क्या किया के नज़रो से ही गिर गयी ?

आग लगाते है

मौसम बहुत सर्द है चल ए दोस्त … गलतफहमियो को.. आग लगाते है

आज भी अधूरी है

तलाश दिल की आज भी अधूरी है…, जीने के लिए साँसों से ज्यादा आज भी तू जरूरी है…!

तूने तो कह दिया

तूने तो कह दिया, अब तेरा मेरा कोई वास्ता नहीं हैं, फिर भी अगर तू आना चाहे, तो रास्ता वही हैं ..!!

जवाब तो बहुत हैं

चलती हुई “कहानियों” के जवाब तो बहुत हैं मेरे पास… लेकिन खत्म हुए “किस्सों” की खामोशी ही बेहतर है…

अरमानों को जगाकर

अरमानों को जगाकर,आज भी बेठा हूँ उसी जगह पर, जहाँ एक झलक देखने को मिलती थी, मेरी मुहब्बत मुझे……।

हम तो नादाँ है

हम तो नादाँ है, क्या समझेगें उसूल – ए – मोहब्बत, बस उसे चाहना था उसे चाहते हैं और उसे ही चाहेंगे !

हीरा बना दे।

शायद कोई तराश कर,हीरा बना दे। यही सोच कर मैं,उम्र भर पत्थर बना रहा!

कोई समझने वाला

कहाँ मिलता है कभी कोई समझने वाला, जो भी मिलता है समझा के चला जाता है

रंगो से डर

रंगो से डर नहीं लगता यारो , रंग बदलने वाले लोगो से लगता है…!

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