यूँ ज़िद्दी हैं

यूँ ज़िद्दी हैं तेरी यादें,जैसे बच्चे अमीरों के |

अकेले रोना भी

अकेले रोना भी क्या खूब कारीगरी है ऐ दोस्त सवाल भी खुद का रहता है और जवाब भी खुद का

वो जो तुमने

वो जो तुमने एक दवा बतलाई थी ग़म के लिए, ग़म तो ज्यो का त्यो रहा बस हम शराबी हो गये…..

कुछ इस कदर

कुछ इस कदर जकड़ रखा है तन्हाईयों ने, सांस भी लेते है, तो लगता खलल है……

इश्क़ करोगे तो

इश्क़ करोगे तो कमाओगे नाम तो हमते बटती नही खेरात में|

बड़े हुनर आते हैं

दुनिया मे झूठे लोगों को बड़े हुनर आते हैं, सच्चे लोग तो इल्ज़ाम से ही मर जाते हैं..!!

सब बेमानी हैं

लफ्ज़ अल्फाज कागज कलम सब बेमानी हैं तुम कहते रहो हम सुनते रहे बस इतनी सी कहानी है !!!

ज़िन्दगी में आराम

ना मिला है, ना मिलेगा, ज़िन्दगी में आराम कहीं… मैं हुँ बे-मन्ज़िल मुसाफ़िर… सुबह कहीं शाम कहीं.

वो लोग जो

वो लोग जो औरों की ज़िंदगी के मसीहा हैं , हर रात टूटते हैं बेतरतीब , बिना शोर किये !

बढ़े चलो!

  ‘अमर्त्य वीर पुत्र हो, दृढ़- प्रतिज्ञ सोच लो, प्रशस्त पुण्य पंथ है, बढ़े चलो, बढ़े चलो!’ असंख्य कीर्ति-रश्मियाँ विकीर्ण दिव्य दाह-सी सपूत मातृभूमि के- रुको न शूर साहसी! अराति सैन्य सिंधु में, सुवाड़वाग्नि से जलो, प्रवीर हो जयी बनो – बढ़े चलो, बढ़े चलो!

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