मोहब्बत में जबरदस्ती

मोहब्बत में जबरदस्ती अच्छी नहीं होती…. तुम्हारा जब भी दिल चाहे मेरे हो जाना..!!!

कौन समझ पाया है

कौन समझ पाया है आज तक हमें..? हम अपने हादसों के इक लौते गवाह हैं..!!

याद भी आई न हमें

मुद्दतें गुज़रीं तिरी याद भी आई न हमें और हम भूल गए हों तुझे ऐसा भी नहीं

हम तो जीते हैं

मरते होंगे तुम्हें देख कर हज़ारों हम तो जीते हैं तुम्हें देख कर….

चले जाने के बाद

चलो कुछ दिन के लिए दुनिया छोड़ देते हैं “फराज” सुना हैं लोग बहुत याद करते हैं चले जाने के बाद..!!

मेरे दिल में

सुनो . ये दुनियाँ के तमाम चेहरे तुम्हें गुमराह कर देंगे, तुम बस मेरे दिल में रहो, यहाँ कोई आता जाता नहीं !!

मुझे तुमसे मुहब्बत है

सुनो… फिर से कहो ना.. आज उसी अदा के साथ.. मुझे तुमसे मुहब्बत है मैं तुम्हारी हूँ…

शिकायते तो बहुत है

शिकायते तो बहुत है तुझसे ए जिन्दगी; पर जो दिया तूने, वो भी बहुतो को नसीब नही….

कब से पता था

हमें तो कब से पता था के “तू ‘बेवफा है” ऐ बेखबर ” तुझे चाहा ही इस लिए की शायद तेरी फितरत बदल जाये…!!

हौसला मिलता नही

खुद से लाना पड़ता है ये, हौसला मिलता नही । घर से जो ना निकले, उनको रास्ता मिलता नही । कौन बुलंदी पर यारो, यूँ पहुँचा है आसानी से ? बिन किए मेहनत जमी पर, आसमाँ मिलता नही

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