ख़्वाहिशों का कैदी हूँ, मुझे हकीक़तें सज़ा देती हैं
Category: Sad Bewafa Shayri
एक हद होती है
भूल जाने की एक हद होती है, तुम उस हद के पार जा रहे हो..!!
समझ ना सका
जो हमे समझ ना सका.. उसे हक है वो हमे बुरा ही समझे
समझदार हो गई है
मोहब्बत अब समझदार हो गई है… हैसियत देख के आगे बढ़ती है।
ठोकरें खाने लगे
जूते मेरे वालिद के क्या मेरे पैरों में आने लगे हम तो कमाने के लिए बस ठोकरें खाने लगे …..
कमाल की मुहब्बत थी
कमाल की मुहब्बत थी उसको हमसे…. यारों…. अचानक ही शुरू हुई और बिन बतायें ही ख़त्म…
हम भी बहके थे
ज़रा सा हम भी बहके थे,.ज़रा सा दिल लगाया था, किसी के इश्क़ में पड़कर ये दिल भी मुस्कुराया था… कभी जो याद ही आये ज़रा सा मुस्कुरा देना, तुम्हारी याद का आंसू कभी हमने बहाया था…. हमारी मखमली ख्वाहिश यहां पूरा ही दिन तरसी, ज़रा सा दिल से फिर पूछा पता तेरा बताया था….… Continue reading हम भी बहके थे
ज़िक्र मेरी किताब में
किसी हर्फ़ में किसी बाब में नहीं आएगा तेरा ज़िक्र मेरी किताब में नहीं आएगा
जिन्दगी कैसी भी गुजारू
ऐ खुदा जिन्दगी कैसी भी गुजारू लेकिन आईना जब सामने हो तो कभी शरमिन्दगी न हो
वो मुझसे ही
मेरे करीब आकर, वो मुझसे ही दूर बैठे हैं…!! नज़रों में है हया, फिर भी बा-गुरूर बैठे हैं…!!