जिंदा रहने पे तवज्जो ना कोई मिल पाई.. कत्ल होके मै,,, एक शहर के अखबार में हूँ..
Category: Sad Bewafa Shayri
मोहब्बत ही में मिलते हैं
मोहब्बत ही में मिलते हैं शिकायत के मज़े पैहम, मोहब्बत जितनी बढ़ती है शिकायत होती जाती है !!
बेच डाला है
बेच डाला है, दिन का हर लम्हा; रात, थोड़ी बहुत हमारी है!
वो जब पास मेरे होगा
वो जब पास मेरे होगा तो शायद कयामत होगी…., अभी तो उसकी शायरी ने ही तवाही मचा रखी है.
आया था किस काम से
आया था किस काम से, तू सोया चादर तान। सूरत संभाल ए गाफिल, अपना आप पहचान।।
नजाकत तो देखिये
नजाकत तो देखिये, की सूखे पत्ते ने डाली से कहा, चुपके से अलग करना वरना लोगो का रिश्तों से भरोसा उठ जायेगा !!
मुझे कुबूल नहीं
मुझे कुबूल नहीं खुद ही दूसरा चेहरा, ख़ुशी तो मुझ को भी अक्सर तलाश करती है…
कभी इश्क़ करो
कभी इश्क़ करो और फिर देखो इस आग में जलते रहने से.. कभी दिल पर आँच नहीं आती कभी रंग ख़राब नहीं होता..
एक चादर साँझ ने
एक चादर साँझ ने सारे नगर पर डाल दी, यह अँधेरे की सड़क उस भोर तक जाती तो है! निर्वसन मैदान में लेटी हुई है जो नदी, पत्थरों से ओट में जा-जा के बतियाती तो है!!!
उन्होंने ये सोचकर
उन्होंने ये सोचकर अलविदा कह दिया कि गरीब है, मोहब्बत के अलावा क्या देगा|