जब देखो तब

जब देखो तब सब हमसे केहते हैं, कुछ अच्छा सा लिखें, कुछ बढ़िया सा लिखें, तो लो आज हम लिखते हैं… अनमोल सा.. बेमिसाल सा… तुम्हारा नाम!

कभी तो अपने लहजे से

कभी तो अपने लहजे से ये साबित कर दो…. के मुहोब्बत तुम भी हम से लाजबाब करती हो….

तेरे दावे है

तेरे दावे है तरक़्क़ी के तो ऐसा होता क्यूँ है मुल्क मेरा अब भी फुटपाथ पे सोता क्यूँ है|

ये कलम भी कमबख्त

ये कलम भी कमबख्त दिलजली है… जब जब दर्द हुआ ये खूब चली है…

आपने ताली बजा डाली

इतना भी आसान मतलब नहीं था मेरा, जितनी जल्दी आपने ताली बजा डाली !!

मज़बूत से मज़बूत लोहा

मज़बूत से मज़बूत लोहा टूट जाता है कई झूठे इकट्ठे हों तो सच्चा टूट जाता है|

तुम क्युँ मरते हो

तुम क्युँ मरते हो मुझ पे, मैँ तो जिन्दा ही तुम से हुँ….!!

अब इत्र भी

अब इत्र भी मलो तो तकल्लुफ़ की बू कहाँ वो दिन हवा हुए जो पसीना गुलाब था|

ज़ुल्फों में छिपा रखे हो

ज़ुल्फों में छिपा रखे हो कोई खंज़र वंज़र भूल कर भी मत जाना इन बेवफाओ के क़रीब|

कितना अच्छा लगता है

कितना अच्छा लगता है ना जब मोहब्बत में कोई कहे…. क्यूँ करते हो किसी और से बात मैं काफी नहीं आपके लिए…?

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