माँ मुझे मारेगी

आज फिर माँ मुझे मारेगी बहुत रोने पर आज फिर गाँव में आया है खिलोने वाला|

तेरा हर लिबास

यूँ तोह तेरा हर लिबास मेरे सामने ही चढ़ा और उत्तर है। आज ये कौनसा लिबास था जो मेरे सामने भी था पर मेरे करीब नहीं

दो बातों से

मैं बस दो बातों से डरता हूँ एक तेरे रोने से, दूसरा तेरे को खोने से…॥

मुझे मालूम है

मुझे मालूम है की ये ख्वाब झूठे है और ख्वाहिशें अधूरी है, मगर जिंदा रहने के लिए कुछ गलतफहमियाँ भी जरूरी है…॥

उस शहर में

उस शहर में जीने की सज़ा काट रहा हूँ महफ़ूज़ नहीं है जहाँ अल्लाह का घर भी

बात समझ लेती थी

जब सिर्फ ” हूँ ” , “हां ” करता था तू , तो- मै -तेरी हर बात समझ लेती थी..!! आज जब बड़ा हो गया है तू तो कहता है, ..”माँ तू कुछ नहीं समझती है”..!!

आज मारने वाले

आज मारने वाले कहते है …. हम बचायेगे आपको… जो पानी के लिये … मूतने की बात करते थे….

मुझ पर अत्याचार

ये तो बड़ा मुझ पर अत्याचार हो गया, खामख्वाह मुझे तुझसे प्यार हो गया

आँखों में कहानी मेरी

ढूंढते हो क्या आँखों में कहानी मेरी…. खुद में गुम रहना तो आदत है पुरानी मेरी…..

कभी हम हीं थे

कभी हम हीं थे तेरे हमसफर ऐ दोस्त, मंजिल मिल गई तुम्हें तो पहचानते नहीं।

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